विश्व हाइपरटेंशन दिन या दिवस हर वर्ष 17 मई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है हाइपरटेंशन और अधिक ब्लड प्रेशर-से होने वाली कार्डियोवैस्कुलर जटिलताओं के बारे में जागरूकता लाना और लोगों को यह बताना कि उनका पता कैसे लगाया जा सकता है, व उन्हें नियंत्रित करने व उनसे बचने के तरीके क्या हैं.
इनके बारे में जानें:
यूं ही अधिक ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर नहीं कहा जाता है. हाइपरटेंशन के लक्षण छिपे हुए हो सकते हैं, जो अक्सर नियमित थकान, कार्य के दबाव, तनाव या परिश्रम से होने वाले कष्ट की आड़ के रूप में महसूस हो सकते हैं. क्योंकि ये लक्षण आपके जीवन की सामान्य घटनाओं में शामिल हैं, इसलिए आप उन पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं. कई बार, आपको पता भी नहीं होता है और आपको हो चुका होता है हाइपरटेंशन. इस स्थिति में ह्रदय की जटिलताएं भयानक रूप धारण कर लेती हैं.
अगर आप हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ करते हैं, तो यह बाद के चरणों में जानलेवा साबित हो सकते हैं और हार्ट फेल्योर, एन्यूरिज्म, डिमेंशिया या स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं. इसलिए, यह आवश्यक है कि आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल करें और नज़रअंदाज़ न करें अपना गंभीर ब्लड प्रेशर.
हाई ब्लड प्रेशर के 4 शुरुआती लक्षण क्या हैं?
नीचे 4 शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया गया है, जो अधिक ब्लड प्रेशर का संकेत देते हैं, और जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए:
- सांस फूलना – जिन लोगों को होता है पल्मोनरी हाइपरटेंशन , उनकी सांस तुरंत फूलने लगती है और उन्हें दैनिक गतिविधियां करने में कठिनाई होती है. अचानक सांस लेने में परेशानी होना और सीने में जकड़न होना स्ट्रोक या हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है.
- आंखों में लाल धब्बे – लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर का ट्रीटमेंट नहीं करवाने पर आपकी आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ सकता है. हाइपरटेंशन, आपको देखने में सक्षम बनाने वाली रेटिना (जहां इमेज बनता है) में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. आंखों में लाल धब्बा या सब-कंजक्टिवल हेमरेज तब उत्पन्न होता है, जब बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर. इसके अलावा, समय पर ट्रीटमेंट न लेने पर, धमनी की परत पर पड़ने वाला अत्यधिक दबाव आपके ऊतकों को फैला सकता है, जो आपके ऑप्टिकल नर्व को और नुकसान पहुंचा सकते हैं. आंखों की यह बीमारी हाइपरसेंसिटिव रेटिनोपैथी के रूप में जानी जाती है.
- चक्कर आना – अचानक चक्कर आना स्ट्रोक का संकेत हो सकता है. संवेदी परिवर्तन, शरीर की स्थिति या मूवमेंट में बाधा, और आंखों की रोशनी में कमी के कारण लोगों में गिरने या संतुलन खोने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा, अगर आपको है हाइपरटेंशन, तो मस्तिष्क को होने वाली ऑक्सीजन सप्लाई कम हो सकती है, जिससे आपको अचानक चक्कर आ सकता है.
- चिंता – हाई ब्लड प्रेशर के कारण एंग्जायटी हो सकती है, जो सांस लेने में परेशानी या बेचैनी, पसीना और कंपकंपाहट का कारण बन सकती है. हाइपरटेंशन के मरीजों में नाक से खून आना एक सामान्य बात है. हाइपरटेंशन नाक से खून आने का प्रत्यक्ष कारण नहीं होता है, लेकिन चिंता और एपिसटैक्सिस (नाक से खून आना) एकसाथ होने से बढ़ सकता है आपका ब्लड प्रेशर.
कैसे बचें हाइपरटेंशन से?
आमतौर पर विश्व हाइपरटेंशन दिन, मनाने का उद्देश्य आपको एक स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रेरित करना है. हाइपरटेंशन से बचने के लिए निम्नलिखित सुझावों का पालन करें:
- स्वस्थ, पोषण युक्त, संतुलित आहार लें जो फाइबर, प्रोटीन, महत्वपूर्ण मिनरल्स और विटामिन से भरपूर हो. ज़्यादा नमक या चीनी वाला भोजन, तला हुआ और ऑयली भोजन या प्रोसेस किया हुआ भोजन न करें.
- अपने वज़न पर नज़र रखें. मोटापा और अधिक वज़न के कारण हो सकता है हाई ब्लड प्रेशर. थोड़ा-थोड़ा खाएं. अगर आप मापना चाहते हैं अपना बॉडी मास इंडेक्स, तो आप ट्राई सकते हैं ऑनलाइन बॉडी मास इंडेक्स कैलकुलेटर.
- धूम्रपान करने और शराब पीने से बचें.
- दिन में लगभग 30 मिनट एक्सरसाइज़ करें, सप्ताह में कम से कम 5 बार.
- 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें. नींद नहीं लेने के कारण हो सकते हैं. चिड़चिड़ापन, बेचैनी, निराशा और स्ट्रेस, जिनके कारण होता है हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन.
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