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मानसून के दौरान अस्थमा से बचने के सुझाव

मानसून की बारिश, उमस भरी गर्मी के बाद बहुत राहत पहुंचाती है. लेकिन, इस मौसम में अस्थमा. के रोगियों की स्थिति और भी खराब हो जाती है. मौसम में बदलाव से एलर्जी की समस्याएं होने लगती हैं, जो गंभीर हो सकती है. इसलिए, बारिश के दौरान अस्थमेटिक रोगियों की विशेष देखभाल करना आवश्यक हो जाता है.

इनके बारे में जानें:

मानसूनका मौसम अस्थमाकी समस्या को कैसे बढ़ाता है?

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अस्थमा की समस्या वातावरण में मौजूद एलर्जी के कारण होती है, जैसे पराग, बढ़ी हुई नमी के कारण धूल के कण, पालतू जानवरों की रूसी, नमी से प्रेरित कवक और वायरल संक्रमण के कारण हो सकती है. सूर्य की रोशनी कम होती है मानसून और आसमान बादलों से ढका होता है. इससे हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है, जिससे आपको फ्लू या सर्दी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, साथ ही आपको अस्थमा का दौरा पड़ सकता है. जिन लोगों को अस्थमा का अनुभव होता है, उनमें एयरवे पैसेज (वायुमार्ग) संकुचित हो सकते हैं, जिससे उनके लिए सामान्य रूप से सांस लेना मुश्किल हो सकता है. इसके कारण घरघराहट, खांसी, छाती में जकड़न और सांस की कमी होने लगती है, जो हैं अस्थमा के लक्षण.

मानसून के दौरान अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपाय

कुछ निवारक उपायों पर नज़र डालें, जिन्हें अपनाकर आप नियंत्रित कर सकते हैं अस्थमा , जब हो मानसून:

  • गर्म पेय पदार्थ लें. गर्म सूप आपके नेज़ल पैसेज की ब्लॉकिंग को हटाने में मदद कर सकते हैं. हर्बल चाय में शहद की एक बूंद डालकर पिएं, इससे आपको नाक की जकड़न से राहत मिल सकती है.
  • प्राकृतिक घरेलू नुस्खे (काढ़ा) लें, जो अदरक, काली मिर्च, शहद, लहसुन, हल्दी और गर्म पानी से बना होता है, यह आपकी इम्यूनिटी को बढ़ा सकता है. इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं.
  • अगर आपको ठंडे पानी से परेशानी होती है, तो जीरा पानी में डालकर उबाल लें और अपने ब्रोंकियल पैसेज को फैलाने के लिए भाप डालें.
  • घर में रहने की कोशिश करें. अगर आप गर्मी के मौसम में दौड़ते हैं या जॉगिंग करते हैं, तो बरसात के मौसम में ट्रेडमिल पर वर्कआउट करें.
  • प्रैक्टिस करें श्वसन व्यायाम का मानसून के दौरान. डायफ्राग्मेटिक तरीके से सांस लेने आपके फेफड़ों में अधिक हवा पहुंचता है. मुंह की तुलना में नाक से सांस लेना बेहतर होता है, क्योंकि इससे वातावरण में गर्मी और आर्द्रता बढ़ती है, कम होते हैं अस्थमा के लक्षण.
  • अगर व्यायाम से आपको एलर्जीसंबंधी समस्याएं होने लगती हैं, तो आप योग. कर सकते हैं. योग में आप ब्रिज पोज़, कोबरा पोज़ और हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोस्चर कर सकते हैं. ये योग आसन आपकी छाती और फेफड़ों को खोलते हैं. ये पूरे शरीर में खून और ऑक्सीजन को पहुंचाने में भी सुधार करते हैं.
  • पालतू जानवरों को अपने बेडरूम से बाहर रखें, ताकि वे रूसी न फैला पाएं. वैक्यूम करते और सफाई करते समय मास्क पहनें. 
  • हाउस डस्ट माइट्स एलर्जी पैदा करने वाली सबसे आम समस्याएं हैं, जो मानसून. तीन बार होते हैं. इन सूक्ष्म कीड़ों का मल हिस्टामाइन रिएक्शन का कारण बनते हैं, जिससे आपके फेफड़ों में वायुमार्ग के चारों ओर की मांसपेशियां कस जाती हैं और बलगम पैदा होने लगती है. बादल छाए रहने से चादरें धूप में कम सूखती हैं. अपनी चादरों को गर्म पानी में धोने की कोशिश करें.
  • रोगाणुओं की वृद्धि को रोकने के लिए अपने इनडोर पौधों को घर से बाहर रखें.

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जब मानसून के मौसम की शुरुआत होने लगती है, तो दवाओं और उपकरणों को तैयार रखें, जिससे अस्थमा एलर्जी से बचने में मदद मिल सकती है. अपने इनहेलर को तैयार रखें. अगर आपके डॉक्टर से परामर्श करें, जब अस्थमा से अधिक परेशानी होने लगे.

अगर आप अपनी अस्थमा की स्थिति का पता लगाना चाहते हैं, तो आप हमारे ऑनलाइन अस्थमा को नियंत्रित करने वाली प्रश्नावली. से जानकारी पा सकते हैं. इससे आप ट्रिगर से बचेंगे और कम कर सकेंगे अस्थमा के लक्षण. ऐक्टिव लिविंग कम्युनिटी में ऐक्टिव रहें और निम्न की विस्तृत जानकारी पाएंः पोषण और सचेतन.