बदलते मौसम से बदल सकता है आपका मूड और मानसिक स्वास्थ्य. इसे आमतौर पर सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) के नाम से जाना जाता है. कुछ लोग मानसून में खुशी महसूस करते हैं और गर्म व उमस भरे मौसम से राहत पाते हैं, तो कुछ लोग सुस्ती भी महसूस कर सकते हैं. SAD सिंड्रोम अक्सर तब होता है, जब सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती. इस समय लोगों को भावनात्मक समस्याएं होने लगती हैं. जब मानसून के दौरान बादलों से घिरा और अंधेरा मौसम होता है, तो इससे शरीर की सरकेडियन रिदम (शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तन, जो 24-घंटे के साइकल का पालन करते हैं) गड़बड़ा सकती है. आवश्यक रोशनी न मिलने पर पिनीयल ग्रंथि से मेलेटोनिन रिलीज़ होती है (जिससे सोने-जागने संबंधी साइकल प्रभावित होती है. इससे शरीर में सुस्ती आती है.
आवश्यक सूरज की रोशनी न मिलने पर संबंधित व्यक्ति के शरीर में मेलाटोनिन और सेरोटोनिन का लेवल कम हो जाता है. जिसकी वजह से वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं और उनका मन कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने का होने लगता है, जो शरीर के लिए अच्छे नहीं होते और वज़न बढ़ने का कारण बन सकते हैं. पाचन में गड़बड़ी, वज़न का कम होना और नींद में समस्या होना, SAD के अन्य लक्षण हैं. जब सूरज की रोशनी आपको आंखों में जाती है, तो इससे शरीर में मेलाटोनिन का बनना रुक जाता है. SAD को न्यूरोट्रांसमिटर सेरोटोनिन या अच्छा महसूस कराने वाले हार्मोन को उभरने न देने के लिए भी जाना जाता है. सेरोटोनिन के कम लेवल से होने वाली दिक्कतों में ऊर्जा में कमी, थकान, चिड़चिड़ापन और लोगों से दूर रहने जैसे लक्षण शामिल हैं.
सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर से निपटने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं.
- सबसे अच्छा स्त्रोत विटामिन डी का सूरज की रोशनी है, जो मूड में होने वाले बदलाव को नियंत्रित कर सकता है और डिप्रेशन को दूर कर सकता है.
- शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहना आपको सेहतमंद बना सकता है. इससे आपका काम में मन लग सकता है, शरीर में एंडॉर्फिन रिलीज़ होता है और यह आपको भावनात्मक रूप से मज़बूत बना सकता है. इसमें आप एक्सरसाइज़ के साथ ही से लेकर घर के कामों तक, कुछ भी कर सकते हैं, जिससे आपको अच्छा लगे.
- SAD से प्रभावित लोगों में खाने की लालसा होना आम बात है, खास तौर से जब हो मानसून सीज़न. अपने खाने पर ध्यान दें. तले हुए, मीठे, नमकीन और जंक फूड से दूर रहें, इनसे आपको बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं.
- People already suffering from stress and anxiety can reduce the impact of SAD by practicing mindfulness meditation, yoga, and pranayama.
- 7-8 घंटों की पूरी नींद लें. मोबाइल या लैपटॉप में कम समय बिताएं ताकि आप समय से सो सकें और समय पर उठ सकें. पूरी नींद लेने से आपकी जीवनशैली पर सकारात्मक असर पड़ सकता है और आपकी सेहत, एकाग्रता लेवल में सुधार हो सकता है और ज़्यादा मन लगाकर काम कर सकते हैं.
Those suffering from monsoon depression should endure the rains while remembering that this season is short-lived. For more information on #HealthyMonsoonWithActivLiving, stay active in the Activ Living Community, where you can find more details on fitness and lifestyle.