टाइप 1 डायबिटीज एक क्रॉनिक स्थिति है जिसमें शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता है और इसलिए, रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित नहीं कर पाता. टाइप 2 डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है जिसमें शरीर आमतौर पर इंसुलिन बना नहीं पाता या फिर उसका उपयोग नहीं कर पाता है (इंसुलिन प्रतिरोध). इसलिए, बहुत से डायबिटीज मरीज़ ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने और डायबिटीज की जटिलताओं को रोकने के लिए इंसुलिन थेरेपी लेते हैं.
इनके बारे में जानें:
हमारे शरीर में इंसुलिन की भूमिका
इंसुलिन हमारे शरीर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
- आपके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है: आप जो भोजन लेते हैं, उसमें फाइबर, स्टार्च और शुगर होते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं. ये कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में टूट जाते हैं, जो शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है. जब ग्लूकोज खून में पहुंचता है, तब पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है, जो ऊर्जा के रूप में ग्लूकोज का उपयोग करने में कोशिकाओं की मदद करता है.
- अतिरिक्त ग्लूकोज को स्टोर करता है: जब आपका इंसुलिन लेवल अधिक होता है, तो अतिरिक्त ग्लूकोज को ग्लाइकोजन के रूप में लिवर में स्टोर किया जाता है. जब आप में ऊर्जा की कमी होती है, तब लिवर खून में इस ग्लाइकोजन को भेज देता है, जिससे ब्लड शुगर की मात्रा कम बनी रहती है.
इंसुलिन के प्रकार क्या हैं?
टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोग अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हैं. टाइप 2 डायबिटीज वाले मरीज़ केवल तभी इंसुलिन सप्लीमेंट पर निर्भर करते हैं, जब उनकी लाइफस्टाइल में बदलाव और दवाएं काम नहीं करती हैं. कई प्रकार के इंसुलिन उपलब्ध हैं. आपके डॉक्टर आपके लिए इंसुलिन की डोज लिखते समय डायबिटीज के प्रकार, आपके ग्लूकोज लेवल, और आपके ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव पर विचार करते हैं.
इंसुलिन के प्रकार यहां दिए गए हैं:
- लंबे, बहुत लंबे या मध्यम समय तक काम करने वाला इंसुलिन: यह शरीर को ग्लूकोज का उपयोग करने में मदद करता है और ग्लूकोज लेवल को बढ़ने से रोकता है. ये इंसुलिन अपने प्रकार के आधार पर 8-40 घंटे तक काम करते हैं.
- तुरंत या कम समय तक काम करने वाला इंसुलिन: भोजन के समय लिए जाने वाले इंसुलिन, भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकने के लिए आदर्श होते हैं. उनका प्रभाव तुरंत शुरू होता है, लेकिन वे कम समय तक ही प्रभावी रहते हैं. आपको भोजन के समय कितनी मात्रा में इंसुलिन लेना है, यह समझने के लिए आपको जानना होगा कि आप अपने भोजन में कितना कार्बोहाइड्रेट लेते हैं. अगर आप इस इंसुलिन का इंजेक्शन लेने के बाद भोजन करने में बहुत देर करते हैं, तो आपके ब्लड शुगर की मात्रा कम हो सकती है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है.
इंसुलिन लेते समय सावधानी बरतना
आप इंसुलिन पेन या शॉट्स (सिरिंज) का विकल्प चुन सकते हैं, जिन्हें आपकी त्वचा के नीचे फैट में इंजेक्ट (सबक्यूटेनियस इंजेक्शन) किया जा सकता है. आप एक इंसुलिन पंप का भी उपयोग कर सकते हैं, जो आपकी त्वचा के नीचे डाली गई पतली ट्यूब में तेज़ी से कार्य करने वाले इंसुलिन की छोटी, स्थिर खुराक को भेजता है. इंसुलिन इंजेक्ट करने वाले स्थान को बदलते रहें. इंसुलिन इंजेक्ट करने के लिए सबसे अच्छे स्थान वे होते हैं, जहां फैट की मात्रा ज़्यादा होती है, जैसे- पेट, आपकी जांघों के आगे या किनारे का भाग, कमर का ऊपरी भाग, या बाजुओं का ऊपरी भाग.
इंसुलिन को इंजेक्ट करते समय सावधानी बरतें.
- लिपोडिस्ट्रॉफी नामक स्थिति से बचने के लिए हर बार एक ही जगह पर इंसुलिन इंजेक्ट करने से बचें. इसमें, आपकी त्वचा के नीचे का फैट या तो टूट जाता है या जमा होकर गांठें बना देता है, जो इंसुलिन के अवशोषण को रोक सकती हैं.
- अपनी नाभि या किसी अन्य तिल या निशान (स्कार) के बहुत पास इंजेक्ट करने की कोशिश न करें.
- पिछले स्थान से कम से कम 2 इंच दूर इंजेक्ट करें.
- इन्फेक्शन रोकने के लिए इंसुलिन इंजेक्ट करने से पहले आपको अपनी त्वचा को साबुन और पानी से साफ करने की भी सलाह दी जाती है.
अपने इंसुलिन ट्रीटमेंट के दौरान आपको नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल को भी चेक करते रहना चाहिए. अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल की गणना करने के लिए इस्तेमाल करें हमारा ऑनलाइन ब्लड शुगर लेवल कैलकुलेटर. अगर आपको इंसुलिन लेने से संबंधित कोई समस्या हो रही है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
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